तीन सोवियत नाटकों का एक संग्रह ।
रामेश सिन्हा द्वारा अनुवादित
संगम लाल मालवीय द्वारा संपादित
‘क्रेमलिन की घण्टियां’ में नाटककार निकोलाई पोगोदिन प्रभावशाली चित्रण द्वारा यह दिखाने में सफल रहा है कि भयंकर आर्थिक तबाही, भुखमरी और दारिद्र्य के बीच समाजवाद की नींव डालने के बारे में लेनिन का सपना कैसे साकार हुआ।
सोवियत नाट्य-साहित्य की श्रेष्ठ कृतियों में व्सेवोलोद विश्नेव्स्की का नाटक ‘बलिदान व्यर्थ न गया’ एक उल्लेखनीय नाट्य-रचना है, जो गृहयुद्ध के दिनों की एक प्रभावशाली घटना पर आधारित है। घटनाओं की नाटकीयता इस बात से गहन होती है कि अराजकता, उच्छृंखलता, गद्दारी और प्रतिक्रान्तिकारी ताकतों से जूझने का बोझ एक महिला पर पड़ता है, जो खुद अभी कम उम्र है।
मानव हृदय की दो महान शक्तियों का नाम है – प्रेम और श्रम। अलेक्सेई अर्बुजोत्र के ‘सच्चा प्रेम’ नाटक का केन्द्रीय भाव यही है। नाटक में नायिका वाल्या के मानसिक विकास का क्रमिक चित्रण किया गया है। प्रारंभ में वह एक छिछोरी लड़की है जो आत्मिक भलमनसाहत, मानवीय निःस्वार्थता और सुख में विश्वास खो चुकी है। लेकिन उसके जीवन में युवक सेर्गेई का प्रवेश होता है जिसने न केवल उसे अकेलेपन से छुटकारा दिलाया, बल्कि उसके सम्पूर्ण जीवन का रुख ही मोड़ दिया।
