व्लादिमीर बोगोमोलोव का “इवान” (जिसे “इवान का बचपन” के नाम से भी जाना जाता है) एक द्वितीय विश्व युद्ध पर आधारित लघु उपन्यास है, जो एक युवा लड़के, इवान, की कहानी बताता है। इवान, जो सिर्फ 12 साल का है, युद्ध के दौरान अपने माता-पिता को खो देता है और सोवियत सेना के लिए एक जासूस बन जाता है। उसकी उम्र और मासूमियत का उपयोग दुश्मन की रेखाओं के पार गुप्त जानकारी इकट्ठा करने के लिए किया जाता है।
इवान का चरित्र युद्ध की भयावहता और उसकी मासूमियत पर उसके प्रभाव को दर्शाता है। एक साधारण बच्चे से एक वीर जासूस बनने की उनकी यात्रा न केवल व्यक्तिगत संघर्ष की कहानी है, बल्कि युद्ध के समय बच्चों के अनुभवों और उनकी मानसिकता पर गहरा प्रभाव डालती है। उपन्यास इवान की आंतरिक पीड़ा, उसके साहस, और अंततः उसके दुखद अंत को उजागर करता है, जिससे पाठक युद्ध की क्रूरता और मानवता के नुकसान को महसूस कर पाते हैं।
अनुवादक अचला जैन
