इस पुस्तक में विषाणुविज्ञान को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इसमें मनुष्य द्वारा अध्ययन किये जा रहे सूक्ष्मदर्श अंर्तकोशिकीय जैव पदार्थों विषाणुओं का वर्णन किया गया है। इसके लेखक मीत्री ग्रीगोरेविन जातूला ने जीव विज्ञान में डी० एस० सी० की तथा लेखिका सेविल श्रशराफ किजी ममेदवा ने पी० एच० डी० की उपाधि प्राप्त की है। द० ग्री० जानूला मोनियत विज्ञान अकादमी के उपसदस्य हैं तथा सं० अ० ममेदवा यूक्रेइन के एक सूक्ष्मजीव-विज्ञान- संस्थान में अनुसंधान-कार्य में व्यस्त हैं। लेखकों ने रोवक भाषा में यह बताया है कि विषाणु वैज्ञानिक अदृश्य पदार्थों का अध्ययन कैसे करते हैं, इसके लिए उन्हें कितने विचित्र, कुशल व मनोरं- जक ढंग अपनाने पड़ते हैं। पुस्तकः मे विषाणुओं द्वारा फैलाई जाने वाली बीमारियों व उनसे सुरक्षा के उपायों पर भी विचार किया गया है।
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अनुवादक रमिंद्र पाल सिंह
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विषय-सूचो
प्रस्तावना 7
अदृश्य राज्य के द्वार पर 9
निस्यंदी विष की विचित्र आदतें 22
विषाणु की “बास्तुकला” 42
कोशिका में विषाणु 54
आक्रामक – वनस्पति जगत में 70
मनुष्य, जन्तु तथा विषाणु 85
शताब्दी के रोग के रहस्य 107
उपसंहार 122
