सामान्य रसायन पुस्तक १, २ – नि. ग्लीनका (General Chemistry Volume 1 and 2 in Hindi N. Glinka)

पुस्तक के बारे में
हिन्दी भाषा में अनुदित प्रो० नि० ले० ग्लीनका की प्रस्तुत पुस्तक “ सामान्य रसायन
बहुत प्रचलित है। लेखक के जीवन काल में ही रूसी भाषा में इसके 2 संस्करण
प्रकाशित हुए , अंग्रेजी भाषा में अनूदित की गई एवं सोवियत संघ की प्रांतीय भाषाओ्रों
में अनेक बार प्रकाशित हुई। यह पुस्तक न केवल उच्च अध्ययन संस्थानों और तकनीकी
विद्यालयों के विद्यार्थियों तथा अध्यापकों के बीच प्रचलित थी, बल्कि अरासायनिक
व्यवसायों के विशेषज्ञों के बीच भी लोकप्रिय थी जो स्वयं अध्ययन विधि द्वारा रसायन
के वारे में अपना ज्ञान बढ़ाना चाहते थे। रसायन का तीब्रता से लगातार विकास ,
ग्रार्थिक व्यवस्था में उसका अधिक महत्वपूर्ण स्थान, अनेक व्यवसायों के विशेषज्ञों को
तैयार करने में उसके योग का बढ़ना तथा रसायन का अनुभवमूलक विज्ञान से प्रकृति
विज्ञान के सस क्षेत्र में तीब्रतापूर्ण प्रवेश करने की क्रिया , जो पदार्थ-संरचना के आधु-
निक विचारों और तापीयगतिकी के नियमों पर आधारित है-ये सभी प्रस्तुत पुस्तक
में महत्वपूर्ण परिवर्तते करने के कारण बनें।
उन अध्यायों में ग्रत्यधिक परिवर्तन किये गये हैं जो पदार्थ की संरचना, रासायनिक तापीय गतिकी
के नियमों, विलयनों के सिद्धाँत, अपचयोपचयन क्रियाओं , धातुत्रों तथा ऐलायों के
गणों के साथ सम्बंधित हैं पृथक तत्त्वों के रसायन को समपित की गई सामग्री को
भी नए रूप में प्रस्तुत किया गया है। अतिरिक्त परिवर्तेतन, जो विशेषतः भौतिकीय
परिमापों की इकाईयों ( अन्तर्राष्ट्रीय सिस्टम ) के लागू किये जाने से सम्बंधित हैं,
पुस्तक के 9 वें संस्करण (1979) में कर दिये गये थे।

प्रस्तुत अनुवाद पुस्तक के रूसी भाषा में 2 वें संस्करण से किया गया है। हिन्दी
भाषा में अनुवाद करने के समय पुस्तक की सामग्री का पुनः अध्ययन किया गया
तथा उसमें आवश्यक सामग्री सम्मिलित की गई। मानव और प्राकृतिक वातावरण
की पारस्परिक क्रिया के रासायनिक पक्षों पर विशेष ध्यान दिया गया है, और इसके
साथ-साथ प्रस्तुत संस्करण में अरणुश्नरों की ज्यामिती का अध्ययन न केवल संकरण
विधि के दृष्टिकोण से अपितु संयोजकता कोश के इलेक्ट्रानी युगलों की प्रतिकर्षण
विधि के आधार पर भी किया गया है।

रूसी से अनुवादित: मोहन मुर्ति शांडिल्य

सभी श्रेय गुप्ताजी को

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You can get Volume 2 here and here

 

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